सागर बुला रहा है निकलने तो दे मुझे.
तू बर्फ से पानी में बदलने तो दे मुझे.
चुपके से आफताब ने बादल से यूँ कहा,
बिखरूंगा इन फ़िज़ाओं में ढलने तो दे मुझे.
देखोगे असमान में चमकूंगा एक दिन,
छोटा सा एक ख्वाब हूँ पलने तो दे मुझे.
बच्चे जो आए सामने मैं बाप हो गया,
पापा जो सामने हैं मचलने तो दे मुझे.
तितली सी इर्द-गिर्द महकती मिलेगी तू,
इस प्रेम के गुलाल को मलने तो दे मुझे.
तारे भी तोड़ लाऊंगा अमरुद चीज क्या,
अब नाम लेके तेरा उछलने तो दे मुझे.
उनको गुनाह की तो सजा मिल ही जायगी,
छाती पे उनकी मूंग भी दलने तो दे मुझे.
देखोगे असमान में चमकूंगा एक दिन,
जवाब देंहटाएंछोटा सा एक ख्वाब हूँ पलने तो दे मुझे.
वाह! वाक़ई ख़्वाब देखने का हुनर जो सीख लेता है उसके लिये आसमान भी छोटा पड़ जाता है
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 13 सितंबर 2023 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंअथ स्वागतम शुभ स्वागतम।
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 13 सितंबर 2023 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंअथ स्वागतम शुभ स्वागतम।
लाजवाब
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंवाह ! अति सुन्दर !
जवाब देंहटाएंवाह वाह वाह... अति सुन्दर 🙏
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंवाह!!!!
जवाब देंहटाएंबहुत ही उत्कृष्ट एवं लाजवाब ।
👌👌🙏🙏
बच्चे जो आए सामने मैं बाप हो गया,
जवाब देंहटाएंपापा जो सामने हैं मचलने तो दे मुझे. ,हाँ सच ही है पिता से ही सारी ख़्वाहिशें पूरी होती हैं हमेशा की तरह बहुत सुंदर,