सृष्टि ने जब कुछ देना है तो वो दे देती है, क्योंकि इंसान के जीवन में हर सजीव हर लम्हा उस कायनात का दिया हुआ ही तो है … ये दिन, ये महूरत … सब इंसानी बाते हैं … पर हम भी तो इंसान हैं … तो क्यों न दिन को खास मानें …
वक़्त की टहनियों पे टंगे प्रेम के गुलाबी लम्हे
संदली ख़ुशबू का झीना आवरण ओढ़े
सजीव हो उठते हैं सूरज की पहली किरण के साथ ...
कायनात में खिलने लगते हैं जंगली गुलाब
कहीं मुखर हो जाते हैं डायरी में बन्द सूखे फूल जैसे
कहीं सादगी से पलकें झुकाए
तो कहीं आसमानी चुन्नी में महकते
जुड़ जाते हैं तमान ये लम्हे उम्र के हसीन सफ़र में
सच कहूँ ...
तुम ही तो मेरे एहसास का जंगली गुलाब हो
पुरानी डायरी का सूखा फूल
जागती आँखों का पहला ख़्वाब
देखा है जिसे ज़िन्दगी बनते बरसों पहले, तुम्हारे साथ ...
Love you Jana
वाह
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" रविवार 11 अक्टूबर 2023 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" रविवार 08 अक्टूबर 2023 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
जवाब देंहटाएंसरस कृति
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर !! बेहद खूबसूरत भावाभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंखूबसूरत सृजन दिगंबर जी ...!!
जवाब देंहटाएंवाह ..शानदार ...क्या खूूबकहा है नासवा जी आपने कि 'वक़्त की टहनियों पे टंगे प्रेम के गुलाबी लम्हे
जवाब देंहटाएंसंदली ख़ुशबू का झीना आवरण ओढ़े'... वाह
नासवा जी ..बेहद शानदार लिखा ....कहीं सादगी से पलकें झुकाए
जवाब देंहटाएंतो कहीं आसमानी चुन्नी में महकते
जुड़ जाते हैं तमान ये लम्हे उम्र के हसीन सफ़र में...
सच कहूँ ...
जवाब देंहटाएंतुम ही तो मेरे एहसास का जंगली गुलाब हो
पुरानी डायरी का सूखा फूल
जागती आँखों का पहला ख़्वाब
देखा है जिसे ज़िन्दगी बनते बरसों पहले, तुम्हारे साथ ...
उन लम्हों को यादों में बार बार जियें तो जिंदगी में ताजगी बनी रहती है ...फिर लगता है ज्यों कल की ही बात है...
बहुत ही खूबसूरत हृदयस्पर्शी सृजन
वाह!!!
वाह, बहुत सुन्दर हमेशा की तरह।❤️💙
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूबसूरत अहसास और अभिनव प्रस्तुति!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंहृदय स्पर्शी रचना 👌
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