स्वप्न मेरे: दिसंबर 2023

शनिवार, 23 दिसंबर 2023

पोटली ... लम्हों की ...

मुझे याद है जाते जाते तुमने कहा था “भूल जाना मुझे”
पर पता नही क्यों बीते तमाम लम्हों की पोटली
मेरे पास छोड़ गईं

और मैं … हर आने वाले पल के साथ
तुम्हें भूलने की कोशिश में
अपने आप को मिटाने में जुट गया
चिन्दी-चिन्दी लम्हों को नौचने की कोशिश में
लहूलुहान होने लगा ...

अब जबकि वक़्त की सतह पे गढ़े लम्हों में फूल आने लगे हैं
तेरी यादें जवान हो रही हैं
बेकाबू मन तोड़ना चाहता है हर सीमा

अच्छा हुआ नाता तोड़ने के बाद तुम नहीं लौटीं
कभी कभी ज़िस्मानी गंध का एहसास
पागल कर देती है मुझे
#जंगली_गुलाब

शनिवार, 16 दिसंबर 2023

ज़िन्दगी ...

इसलिए तो नहीं छोड़ देते दौडना
की काँटों भरी हैं जिंदगी की राहें,

झड़ जाने के डर से उगना बंद नहीं कर देते पत्ते,

हो सके तो कभी मत खोलना ज़िन्दगी के बीते पन्ने
रंग खत्म नहीं होते वक़्त के, न ही ज़िन्दगी के पन्ने ...
खत्म होती है तो चाह, कुछ कर गुजरने की
ललक कुछ पाने की ...

मेरी जिद्द है तुझे पाने की, मेरे हाथों में हैं नए रंग
खुला हुआ है ज़िन्दगी का एक नया पन्ना
काफी है मुझे उम्र भर के लिए ...

शनिवार, 9 दिसंबर 2023

वक़्त ...

रात का लबादा ओढ़े गहरा सन्नाटा
बिस्तर में अटकी कुछ गीली सलवटें
आँखों में उतरे उदास लम्हों का घना जंगल

अच्छा हुआ झमाझम बरसे बादल ...

नहीं तो कहाँ मुमकिन था
बरसों से जमें दर्द के मैल का निकल पाना
सोंधी मिट्टी की ताज़ा ख़ुशबू लिए झरने का लौट आना

काश गहरे अवसाद में जाने से पहले समझ सकें
हर रात की सुबह निश्चित है
उदास जंगल की उलझी लताओं के पीछे
चमचमाता है नीला आसमान
जहाँ खिली होती हैं सूरज की सतरंगी किरणें
किसी अजनबी की राह तकती

किसी मासूम प्रेम की इंतज़ार में
आस पास ही खिला होता है जंगली गुलाब भी ...

शनिवार, 2 दिसंबर 2023

जो हाथ कभी हमसे मरोड़ा नहीं गया ...

ख़ुद से जो हुआ प्रेम तो छोड़ा नहीं गया.
इक आईना था हमसे जो तोड़ा नहीं गया.

बेहतर तो यही होगा के खुद को समेट लें,
पथ तेज़ बवंडर का जो मोड़ा नहीं गया.

यह इश्क़ अधूरा ही न रह जाए उम्र भर,
नदिया को समुन्दर से जो जोड़ा नहीं गया.

टूटे तो न जुड़ पाएँगे ता-उम्र फिर कभी,
रिश्तों को अगर वक़्त पे जोड़ा नहीं गया.

मुश्किल है समझना के है आरम्भ या है अंत,
इस छोर से उस छोर जो दौड़ा नहीं गया.

मुँडेर पे बैठा जो चहकता था रात दिन,
पंछी था फ़क़त दिल से निगोड़ा नहीं गया.

मुमकिन है दिखेगा कभी गर्दन के आस-पास,
जो हाथ कभी हमसे मरोड़ा नहीं गया.