समय से पहले
समय से आगे निकल जाने का जूनून
पा लेने की जद्दोजहद
समेटता गया सब कुछ ज़िन्दगी की नाव में
समझ नहीं सका जरूरी है इतनी जगह का होना
की सहेज सकूँ लूटी हुयी पतंगों के माँझे
गुलाब के सूखे फूल, भीगते लम्हे के किस्से
खुशियों की गुल्लक, यादों के मर्तबान
आज उम्र के इस पड़ाव पर
जबकि इच्छाओं का अंत नज़र आने लगा है
कुछ नहीं बाकी सुविधाओं के अलावा, भौतिक सुख के इतर
ज़िन्दगी के लम्बे सफ़र में जरूरत होती है उन सब चीज़ों की
छोड़ देते हैं जिन्हें हम कचरे का ढेर समझ कर ...
शनिवार, 25 मई 2024
शनिवार, 18 मई 2024
ज़िन्दगी ...
दौड़ें इतना कि खुद के करीब आ जाएँ
सुने अपने दिल की धड़कन
महसूस करें अपनी गर्म साँसें
कि उनके नाम से जीते रहना ज़िन्दगी तो नहीं
सो जाओ तुम ...
नहीं आ सकोगी ख़्वाबों में
कसम ली है आँखों ने रात भर न सोने की
तुम्हारे अलावा भी तिलिस्मी है ये ज़िन्दगी ...
सुने अपने दिल की धड़कन
महसूस करें अपनी गर्म साँसें
कि उनके नाम से जीते रहना ज़िन्दगी तो नहीं
सो जाओ तुम ...
नहीं आ सकोगी ख़्वाबों में
कसम ली है आँखों ने रात भर न सोने की
तुम्हारे अलावा भी तिलिस्मी है ये ज़िन्दगी ...
#जंगली_गुलाब
शनिवार, 11 मई 2024
मौसम ...
सावन
कितना अजीब है ये मौसम
बूंदों के साथ उतर जाते हैं दिन धरती पर
हरी शाल ओढ़े ज़मीन हो उठता मन
करता है चहल कदमी यादों की बेतरतीब घास पर
समय की करवट जाने अनजाने ले आती है सैलाब
कीचड़ होता प्रेम डूब जाता है नाले में
उठती है अजीब सी जिस्मानी गंध
कितनी मिलती जुलती है ये गंध
मन के तहखाने में छुपे प्रेम की खुशबू से
कितना चालबाज है मौसम
आती बारिश के साथ खेलता है खेल प्रेम के
कितना अजीब है ये मौसम
बूंदों के साथ उतर जाते हैं दिन धरती पर
हरी शाल ओढ़े ज़मीन हो उठता मन
करता है चहल कदमी यादों की बेतरतीब घास पर
समय की करवट जाने अनजाने ले आती है सैलाब
कीचड़ होता प्रेम डूब जाता है नाले में
उठती है अजीब सी जिस्मानी गंध
कितनी मिलती जुलती है ये गंध
मन के तहखाने में छुपे प्रेम की खुशबू से
कितना चालबाज है मौसम
आती बारिश के साथ खेलता है खेल प्रेम के
#जंगली_गुलाब
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