स्वप्न मेरे: जून 2024

शनिवार, 29 जून 2024

क़तरा - क़तरा ...

उठता तो ज़रूर है एक पत्थर कहीं से
आईना चटखने से पहले
फिर उस रोज़ तुमने भी तो देखा था
अंजान नज़रों से एक टक

दिल की अन-गिनत दरारों से
दर्द टपकता है बे-हिसाब क़तरा – क़तरा ...

रविवार, 16 जून 2024

तिल, प्रेम और आइना ...

लगातार गहरा होता
ये जो बड़ा से तिल है तुम्हारे चेहरे पर
निशानी है प्रेम की

मेरी जाना, वक़्त के साथ जरूरी तो नहीं
प्यार का इज़हार करते रहना
कभी आइना भी तो देख लिया करो ...
#जंगली_गुलाब