स्वप्न स्वप्न स्वप्न, सपनो के बिना भी कोई जीवन है
प्रेम का सर्वव्यापी स्वरूप प्रकृति के कण कण में व्याप्त हैं इसी भाव को रूपायित करता अति सुन्दर सृजन ।
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द सोमवार 23 सितंबर 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
वाह
हर कहीं वही वह है, उसके बिना न कोई शै है
बहुत बहुत सुन्दर
प्रेम को किसी दायरे में नहीं समेट सकता कोई भी,,,बहुत अच्छी प्रस्तुति,,
जिस रंग रूप में देखें प्रेम उसी में नजर आता है ।लाजवाब सृजनवाह!!!!
आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है
प्रेम का सर्वव्यापी स्वरूप प्रकृति के कण कण में व्याप्त हैं इसी भाव को रूपायित करता अति सुन्दर सृजन ।
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द सोमवार 23 सितंबर 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
जवाब देंहटाएंवाह
जवाब देंहटाएंहर कहीं वही वह है, उसके बिना न कोई शै है
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंप्रेम को किसी दायरे में नहीं समेट सकता कोई भी,,,
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति,,
जिस रंग रूप में देखें प्रेम उसी में नजर आता है ।
जवाब देंहटाएंलाजवाब सृजन
वाह!!!!