स्वप्न मेरे: माँ ...

बुधवार, 25 सितंबर 2024

माँ ...

एक सच जो माँ के रहते कभी महसूस नहीं किया, माँ की हर बात उसके जाने के बाद ही सबसे ज्यादा याद आती है. माँ शायद जानती है ये बात पर अपने रहते हुए जतलाती नहीं.
आज १२ साल हो गए पर लगता नहीं तेरे करीब रहे किसी भी इंसान को ...

बड़े बुजुर्गों ने कहा
अड़ोसी-पड़ोसियों ने कहा
आते-जाते ने कहा
माँ नहीं रही
पर मैं कैसे मान लूँ तू नहीं रही
तूने खुद से तो नहीं कहा
फिर तू है ... हर जगह हर शै में ...
आते-जाते उठते-बैठते तुझसे बातें करता हूँ
फिर कैसे कह दूँ तू नहीं रही

ओर अगर तू नहीं होती
तो जीना क्या इतना आसान होता ... ?

झूठ बोलते हैं सब ...

9 टिप्‍पणियां:

  1. जो दिल में है, दिल से भी क़रीब स्वयं में है, उस प्रेमस्वरूपिणी माँ से भला संतान कैसे दूर हो सकती है

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  2. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 26 सितंबर 2024 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

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  3. बहुत ही हृदयस्पर्शी भावपूर्ण सृजन
    दिल के और भी करीब और हर समय साथ महसूस होते हैं माता-पिता जाने के बाद..
    फिर कैसे मान लें कि वज नहीं हैं।

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  4. बहुत बहुत सुन्दर मार्मिक मन को छूने वाली

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  5. माँ, आसमान में तारा बन गयी, फिर भी सपनों में आती है,
    मेरे बचपन में गाई गयी लोरी, मुझे आज भी सुनाती है.

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  6. और अगर तू नहीं होती
    तो जीना क्या इतना आसान होता ... ?
    बेहतरीन भावाभिव्यक्ति.., नमन माँ के व्यक्तित्व को 🙏

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आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है