आज १२ साल हो गए पर लगता नहीं तेरे करीब रहे किसी भी इंसान को ...
बड़े बुजुर्गों ने कहा
अड़ोसी-पड़ोसियों ने कहा
आते-जाते ने कहा
माँ नहीं रही
पर मैं कैसे मान लूँ तू नहीं रही
तूने खुद से तो नहीं कहा
फिर तू है ... हर जगह हर शै में ...
आते-जाते उठते-बैठते तुझसे बातें करता हूँ
फिर कैसे कह दूँ तू नहीं रही
ओर अगर तू नहीं होती
तो जीना क्या इतना आसान होता ... ?
झूठ बोलते हैं सब ...
बड़े बुजुर्गों ने कहा
अड़ोसी-पड़ोसियों ने कहा
आते-जाते ने कहा
माँ नहीं रही
पर मैं कैसे मान लूँ तू नहीं रही
तूने खुद से तो नहीं कहा
फिर तू है ... हर जगह हर शै में ...
आते-जाते उठते-बैठते तुझसे बातें करता हूँ
फिर कैसे कह दूँ तू नहीं रही
ओर अगर तू नहीं होती
तो जीना क्या इतना आसान होता ... ?
झूठ बोलते हैं सब ...
जो दिल में है, दिल से भी क़रीब स्वयं में है, उस प्रेमस्वरूपिणी माँ से भला संतान कैसे दूर हो सकती है
जवाब देंहटाएंनमन मां को
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 26 सितंबर 2024 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
!
बहुत ही हृदयस्पर्शी भावपूर्ण सृजन
जवाब देंहटाएंदिल के और भी करीब और हर समय साथ महसूस होते हैं माता-पिता जाने के बाद..
फिर कैसे मान लें कि वज नहीं हैं।
बहुत बहुत सुन्दर मार्मिक मन को छूने वाली
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंमाँ, आसमान में तारा बन गयी, फिर भी सपनों में आती है,
जवाब देंहटाएंमेरे बचपन में गाई गयी लोरी, मुझे आज भी सुनाती है.
और अगर तू नहीं होती
जवाब देंहटाएंतो जीना क्या इतना आसान होता ... ?
बेहतरीन भावाभिव्यक्ति.., नमन माँ के व्यक्तित्व को 🙏