पर सच बताना … ये इंतज़ार है चाँद का
या आवारा से किसी प्यार के झोंके का ...
जानता हूँ ये करवा चौथ का व्रत
अभिव्यक्ति है प्रेम के अनकहे एहसास की
समर्पण के उस भाव की
जो शिव कर देता है हर बंधन …
आज रोकूँगा नहीं तुम्हें …
इसलिए नहीं कि मुझे चाहत है लम्बी उम्र की
या ज़रूरी है किसी पुरातन परम्परा का निर्वाह
इसलिए भी नहीं की तुमने ये व्रत नहीं रक्खा
तो क्या कहेगा ये समाज
बल्कि इसलिए ...
कि तुम्हारे प्यार के इज़हार का ये एक दिन
दे देता है मुझे वजह कई-कई सालों के प्यार की
समय के साथ हर पल तुम्हारे इंतज़ार की
हाँ … आज रोकूँगा नहीं तुम्हें …
#जंगली_गुलाब
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" सोमवार 21 अक्टूबर 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
जवाब देंहटाएंवाह !!
जवाब देंहटाएंबहुत खूब .., लाजवाब भावाभिव्यक्ति ।
वाह
जवाब देंहटाएंअहा !!!
जवाब देंहटाएंकाश सब इस तरह लेते तो ऐसी फब्तियाँ ना कसता कोई औरतों पर और इन परम्पराओं पर...
लाजवाब हमेशा की तरह
👌👌🙏🙏
सुन्दर
जवाब देंहटाएंवाह ! करवाचौथ के मर्म को समझाती पंक्तियाँ
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