स्वप्न मेरे: तेरी खुशबू से महके ख़त मिले हैं ...

गुरुवार, 31 अक्तूबर 2024

तेरी खुशबू से महके ख़त मिले हैं ...

उजाले के पर्व दीपावली की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं ...
प्रभु राम का आगमन सभी को शुभ हो ...


तभी ये दीप घर-घर में जले हैं.
सजग सीमाओं पर प्रहरी खड़े हैं.

जले इस बार दीपक उनकी खातिर,
वतन के वास्ते जो मर मिटे हैं.

झुकी पलकें, दुपट्टा आसमानी,
यहाँ सब आज सतरंगी हुवे हैं.

अमावस की हथेली से फिसल कर,
उजालों के दरीचे खुल रहे हैं.

पटाखों से प्रदूषण हो रहा है,
दीवाली पर ही क्यों जुमले बने हैं.

सुबह उठ कर छुए हैं पाँव माँ के,
हमारे लक्ष्मी पूजन हो चुके हैं.

सफाई में मिली इस बार दौलत,
तेरी खुशबू से महके ख़त मिले हैं.
(तरही ग़ज़ल)

4 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द शुक्रवार 01 नवंबर 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

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  2. अमावस की हथेली से फिसल कर,
    उजालों के दरीचे खुल रहे हैं.
    वाह!! बेहतरीन शायरी, शुभ दीपावली

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  3. सुबह उठ कर छुए हैं पाँव माँ के,
    हमारे लक्ष्मी पूजन हो चुके हैं.
    वाह !! बहुत खूब !
    दीपोत्सव पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ 🙏

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