अजीब बिमारी है प्रेम
न लगे तो छटपटाता है
लग जाये तो ठीक होने का मन नहीं करता
समुंदर जिसमें बस तैरते रहो
आग जिसमें जलते रहो
शराब जिसको बस पीते रहो
जंगली गुलाब ... जिसे बस सोचते रहो ...
#जंगली_गुलाब
प्रेम राधा ने किया, कृष्ण ने, मीरा ने किया
हीर ने तो मजनू ने भी प्रेम ही किया
पात्र बदलते रहे समय के साथ, प्रेम नहीं
वो तो रह गया अंतरिक्ष में, पुनः आने के लिए ...
किस्मत वाले होते हैं वो किरदार
प्रेम जिनका चयन करता है जीने के लिए
सच पूछो तो तुम भी
एक ऐसी ही रचना हो श्रृष्टि की ...
#जंगली_गुलाब