स्वप्न मेरे: बिमारी ... प्रेम की ...

सोमवार, 11 नवंबर 2024

बिमारी ... प्रेम की ...

अजीब बिमारी है प्रेम
न लगे तो छटपटाता है
लग जाये तो ठीक होने का मन नहीं करता

समुंदर जिसमें बस तैरते रहो
आग जिसमें जलते रहो
शराब जिसको बस पीते रहो

जंगली गुलाब ... जिसे बस सोचते रहो ...

#जंगली_गुलाब

7 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द मंगलवार 12 नवंबर 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

    जवाब देंहटाएं
  2. क्योंकि प्रेम उस दिव्य की ओर से आता है

    जवाब देंहटाएं
  3. कभी दर्द ही दर्द...
    कभी भव सागर से पार...

    जवाब देंहटाएं
  4. "मुझे होश रही न तन मन की ये तो जाने दुनिया" बुरी बला है सुन्दर रचना

    जवाब देंहटाएं

आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है