स्वप्न मेरे: सपना, काँच या ज़िन्दगी ...

शनिवार, 23 नवंबर 2024

सपना, काँच या ज़िन्दगी ...

खुद पे पाबन्दी कभी कामयाब नहीं होती
कभी कभी तोड़ने की जिद्द इतनी हावी होती है
पता नहीं चलता कौन टूटा ...

“सपना, काँच या ज़िन्दगी”

खुद से करने को ढेरों बातें
फुसरत के लम्हे आसानी से कहाँ मिलते हैं
काश टूटने से पहले पूरी हो ये चाहत ...
#जंगली_गुलाब

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