दिल किसी बात पर तो टूटा है.
मन्नतें हो रहीं है सब पूरी,
कैसे कह दूँ शजर ये झूठा है.
छोड़ आये उसी मोहल्ले को,
जिस जगह वक़्त हमसे छूटा है.
कुछ हकीकत चुभी है पैरों में,
काँच का ख्व़ाब है जो टूटा है.
मैं उधर तुम इधर चली आईं,
चश्म-दीदी गवाह बूटा है.
याद के ढेर हैं जहाँ बिखरे,
वो ठिकाना ही अपना कूचा है.
दुश्मनों का इलाज था लेकिन,
हमको अपनों ने मिल के लूटा है.
#स्वप्न_मेरे
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