करो साबित मेरे सर पे रखे इलज़ाम सारे.
सुबूतों से मिटा कर आ गया हूँ नाम सारे.
वो हारेंगे मगर दोहराएंगे यह बात फिर फिर,
चुनावों के अभी आने तो दो परिणाम सारे.
मुझे मेरे ही बच्चों ने मेरा बचपन दिखाया.
गए मेहमान बाहर, चट हुए बादाम सारे.
किसी से कब वफादारी निभाती हैं ये लहरें,
मिटा डालेंगी गीली रेत से पैगाम सारे.
पसीने की महक से दूर तक नाता नहीं है,
मगर हैं चाहते उनको मिलें आराम सारे.
सलाखों की घुटन कुछ पल कभी महसूस करना,
परिंदे छोड़ दोगे पिंजरे से उस शाम सारे.
भटकता है तो मन है खोजता हर दर पे खुशियाँ,
सुकूने दिल है तो घर में सभी हैं धाम सारे.
#स्वप्न_मेरे
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